Ek Samay...(एक समय...)
एक समय…
एक समय होता था।
एक समय आया था।
जल्द ही !!
एक समय आएगा।
जब हम जैसे मिटटी को ,
उन्होंने मटको मे घडोया था।
जब माँ-बाप और परिवार के सिवा ,
हमने और कुछ ना पाया था।
एक समय आया था।
जब हम जैसे किसीको ,
हमने दोस्त बनाया था।
होता वो हमारे पास ही ,
कितना भी उसको हसाया या रुलाया था।
और ,
अब एक समय आया हैं।
अब एक समय आया हैं।
की शायद 'दुरीसे' दोस्त तो छोडो ,
कोई तो कभी-कभी परिवारसे भी,
विश्वास न बना पाया है।
कोई तो कभी-कभी परिवारसे भी,
विश्वास न बना पाया है।
दिन भर बस खुदको,
बुरे खयालो मे पाया है।
जागे हो फिरभी ,
खुदको अंदरसे मरा पाया है।
जैसे धुपके उजालेके बीच ,
बडासा काला बादल ,
अँधेरा करने आया है।
बडासा काला बादल ,
अँधेरा करने आया है।
जल्द ही !!
एक समय आएगा।
जब यही काला बादल ऊपर हो,
और कोई अपना कोई प्यारा हाथमे दीपक थमा जाएगा।
ये अपना कोई प्यारा वही है ,
जो तुमको ये पढ़कर दिमागमे ,
सबसे पेहेले आएगा।
और वोही पूरा अँधेरा उजालेमे बदल के ,
होठो पे मुस्कुराहट दे जाएगा।
एक समय आएगा।
एक समय आएगा।
-संकेत अशोक थानवी॥१०/सितम्बर/१४॥
एक समय आएगा।
-संकेत अशोक थानवी॥१०/सितम्बर/१४॥
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