Purani Chaandi(पुरानी चांदी )

पुरानी  चांदी 
















उदास नहीं है हम ,
ना है ये उदासी भरी कविता।
इन् शब्दों की स्याही मे तो वो आसु है,
माना तेरे याद के सही ,
पर!! गम के नहीं।

बात नहीं की कभी ,
तो ये आसु मौन के नहीं। 
मनाया नहीं कभी ,
तो ये आसु रुठने के नहीं।
पास बुलाया नहीं कभी,
तो आसु दूर जाने के नहीं। 

बेशक !!जानती हैं राहे तुम्हारी घर की मुझे। 
इस आसु के पीछे ,
गलती इन् कदमो की भी नही की ,
हिम्मत जुटाकर रुक के ,इसने ज़बान को बोलने दिया नहीं। 

सच कहु मे तो ,
इन् आसु के पीछे ,
गलती तुम्हारे आज इस जन्मदिन की हैं इसमे!
की ,
कोई छोड़ा नहीं तरीका बधाई का मेरे पास मे। 

गलती किसकी हैं ?? क्या पता। 
जानकर अनंजना क्यों करती हो ?? क्या पता।
जानती हो की नहीं, क्या पता। 


पसंद करता था तुम्हे,
प्यार का मुझे पता नहीं। 
मैं तो दोस्त बनना चाहता था,
कब बनुगा पता नहीं। 

सौ दिन ताकू किसी मैं ,
तो वो थोड़ी पसंद आती हैं। 
पुराने चांदी की चमक,
आँखो से जल्द न जाती हैं । 
उसके लिए तो तेरी एक याद काफी हैं। 
कम्भकत,
उस याद के बाद, 
सौ दिन तक फिर न कोई पसंद आती हैं। 

देखलो ,ये क्या हाल हैं। 
इंतज़ार हैं उस पल का,
जो "शायद " न कभी आने वाला हैं।

उदास नहीं हैं हम ,
बस सोच मैं हु थोडा। 
ना हैं ये उदासी भरी कविता ,
अब हसलो तुम थोड़ा। 

                                         -संकेत अशोक थानवी 

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