Sukunse ( सुकूनसे )
सुकूनसे सुगंध आ रही है आज-कल थोड़ी थोड़ी , इस रेगिस्तान मे किसी फूल से। सूंघलू उसे मैं जो थोड़ा , तो कर जाती है अलग हमको हमहींसे। देखा तो था एक बार ! हा …देखा तो था एक बार ! लग रही थी नन्हीसे कली, सोचा न था हो जाएगी इतनी सुन्दर , जैसे दिखती है वो मोरके पंखसे। हुस्न का दिदार तो होते ही रहता है दूरसे। पिया करते है हम मटकीसे पानी , बिना छुए उसे …और बिना किसी के डरसे। शर्त मत लगाना कभी !! नहीं …शर्त मत लगाना कभी !! डरते नहीं है हम कसी भी आपके शर्तसे। नहीं तो बोलना पड़ेगा हमे नाम हुज़ूरसे। क्यु ? लग गया न धक्का ज़ोरसे। ऐसे यार ना होते अगर , तो हम बात भी करलेते सुकूनसे। सच कहु मैं … तो पेहेले बार महसूस कर रहे हैं हम खुदको मैदान मे कमज़ोरसे। मार डालूँगा तुम्हे …हा मार डालूँगा तुम्हे जो बात की तुमने इसकी किसी औरसे। ये बदला समां क्यों लगरहा है, कहा से आ रही है ये रौशनी ? ये क्या देखतो नहीं रहे हम भूलसे। ओए !! उठजा प्यारे , तू खूब सो लिया सुकूनसे। खूब सो लिया सुक...