Jeena Hain? Jeelo! | जीना हैं? जीलो!

जीना हैं? जीलो!



हसना है? हसलो!
रोको मत खुदको। 
लम्हा ये बीत जाएगा,
फिर कोसोगे खुदको। 

गाना हैं? गा लो!
सुर लगाना हैं जितना, लागलो।
फिर आवाज़ मे सुर कहा गया,
ये पूछोगे मुझको। 

गम हैं कोई? बाँटलो मुझसे।
उस पहाड़ का बोझ, बाँटलो मुझसे। 
ये फिर तुझे क्या हुआ,
ये सब लोग कहेंगे तुझको। 

प्यार है किसीसे? तो रब से मत मांगना।
क्यूंकि प्यार तो ऐसी चीज़ हैं ,
जिसकी जरुरत भी है उसको। 
जा बता दे, कितना प्यार है तुझे,
तेरे नूर को। 

लिखना है? लिखलो।
इन् हाथोसे लिखलो,
समय नहीं हैं ज्यादा।
यह लम्हा फिर नहीं आता। 
फिर क्या,
फिर इन्ही हाथोसे हाथों घरका भार उठाना है खुदको। 

जिंदगी जैसी,
वैसाही प्यार,
वैसीही दोस्ती,
लम्बी नहीं, गहरी होनी चाहिए। 
इतनी गहरी की कोई खोदे उसकी गहराई,
तो आखरी सुराख़ भी दूसरी दुनिया का छोटासा छेद होना चाहिए। 

तस्वीर खीचना है? खीचलो !
उपकरणोंसे नहीं, पर निग़ाहोंसे। 
उपकरणोंसे जो मिल जाए,
वो तो सिर्फ एक रंग-बिरंगा कागज़ होगा। 
और जो निगाहोसे मिल जाए,
वो इन् आँखोंके पीछे छुपे पानी मे एक अमानत होगा। 

किसी जवान को महसूस होता है बुढ़ापा,
किसी बूढ़ेको महसूस होता है जवानी।
दोनो मे बस फर्क इतना है की
दूसरे के हाथ मे है मनचाहा हीरा,
पहले के आखो मे है कोई तस्वीर पुरानी।

रंगना है? रंगलो!
खुद्को तो क्या…किसिको भी। 
अनेको रंग पढ़े हैं हाथ मे,
चुनलो कोई एक रंग उन् अनेको ख्वाब मे। 
रंगलो जल्दीसे,
कही ये रंग इतना न सुख जाए,
किसिको तो क्याखुद्को भी,
फिरसे न रंग पाए।

घूमना है? घूमलो!
क्या पता फिर घूम पाओ न पाओ। 
कहु तुम्हारे पैरो से मैं,
ज़मीन को जितना चूमना है, चूमलो।
किसीके साथ मैं घुमलो!
नहीं?…अकेले हो?
अकेले हो फिर भी,
अपनी खुली निगहोंसे 
किसीको अपने ख्वाब मे चुमलो।
---
संकेत अशोक थानवी ॥२२/२/२०१४ ॥

Comments

Popular posts from this blog

ज्ञानम परमं बलम - Jñānam Param Balam

कहानी (Kahani)

मिलना (milna)