Jaoge Jidhar...(जाओगे जिधर ...)

जाओगे   जिधर ...




























इस देश मे जाओंगे जिधर ,
लगेगा सपनो मे देखा था किधर। 

जाना है उचाईपे ??
क्या सपने हैं उचाइके ??
रास्ते तो रुके हुए हैं ,
खुदको ही चलना होगा। 
सब कहते हैं रास्ते चलते हैं ,
कदम आगे तुमको ही रखना होगा। 

यहाँ हैं अलग-अलग सबके नज़रिए ,
पर हैं वही दो आँखे। 
यहाँ हैं अलग-अलग सबका रोज़गार ,
पर हैं वही दो हाथ। 
इस चमन के लिए ये एकमेव-इकलोता दिल
धड़कता हैं बार-बार। 
और ऐसे कई चमकीले-तड़पते दिलोने
दिखाए हैं चमत्कार। 
कभी-कभी तो इन् दिलो की आखे नम हो जाती हैं,
जब किसी को अपने बचपन ,
और किसी को अपने जवानी की याद आती हैं। 

कुछ ने तो दिए हैं ज़हर अमानत मे ,
कुछ तो कही अब भी उगल रहे ज़हर जमानत पे। 
इनकी करनी से हालात ये हैं,
की  कभी सैकड़ो ,
      कभी हज़ारो ,
तो   कभी लाखों की ज़हर से ;
और बाकि बचे करोड़ो की खबर से ;
जान भी ली हैं। 

बिछड़े भाईयो के कई परिवार तड़पते हैं हरदम। 
जो कभी साथ गाते थे एक ही सरगम। 
उस वक़्त मे कहियो की आखे भी हुई नम। 
छोड़नी पढ़ी वो जगह जहा हुआ था उनका जन्म। 
इसके पीछे वो थे जिन्हे गुलाम नज़र आते थे हम। 
ये नजाने कैसी दुरिया  बन गई। 
की. . . पेहेले तो बोलके  पीछे बोलके,खींची सीमा ;
          अब खुशाली में भी बिन बोले , मानसिक दीवार बनगई। 
तकलीफ अपनी अपनी दोनों के पास है ,
मदत कर सकते है एक दूसरे को। 
किसी-किसीकी सोच अपने पास है ,
क्या कहे उन् लोगो को। 

पर एक बात सिखलो , की आगे अगर बढ़ना हैं ??
हल एक ही हैं आज की साथ सबके चलना हैं। 

बस फर्क इतना रहेगा ,
की किसी के हाथो नीम ,तो किसी के हाथो शहद मिलना है। 
नीमवाले हो या शहदवाले ,
मिलते रहना जरूर, करना सबकी  कदर। 
मान जाओगे एक बात। 
की जाओगे तुम दुनिया मे जिधर ,
लगेगा सपनो मे देखा था किधर।
                                      
                                                                - संकेत अशोक थानवी २७/०५/२०१४ 

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