शायद मैं भूल गया | Shayad mein bhul gaya

भूल गया



शायद मैं भूल गया।
किसीके सिर्फ ख्याल से दुःख भूलना भूल गया।

शोर भरा काम, तुम्हारे याद से आराम।
बड़ी कुर्सी पे बैठ, छोटी बाते भूल गया।

अलग ही नूर तुम्हारे चहरे पे, हमेशा।
तुम्हे ये मुस्कुराकर बताना भूल गया।

समय की ट्रैन में बैठ दिल दर-दर भटकता।
किसी स्टेशन पे उतर, तुमसे मिलाना भूल गया।

तारो को ताकता मैं, दिल में अँधेरा।
चाँद पर बैठ, दिल में दीप जलना भूल गया।

खाली दिन का भार बड़ा।
खिड़की पे बैठ, बारिश में, साथ चाय बाटना भूल गया।

छोटीसी उम्र मेरी, कितना ही तुम्हे जाना।
यादो की किताब के पन्ने पलटना भूल गया।

शायद, अब किसीको अपना बनाना भूल गया।

- संकेत अशोक थानवी || १०/ अक्टूबर/ २०१९  || 

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[Pic Credits: ‎Nanthini Vayapuri‎ ]

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