Amavas ( अमावस )
अमावस
ए अमावस ! क्यों उदास होता है ?
वो हसीं चाँद को रात का आराम भी तू ही देता है।
ज़िन्दगी मे छोटी छोटी खुशिया अहम् है।
तू ना होता तो इन् तारो की किमत ही क्या थी ?
दूसरे की चमक को बढ़ावा देना इतना आसान नहीं।
तेरे साथ दिवाली युही नहीं मानते।
देख तेरा खुमार चाँद पर कितना छाया।
पहले १५ दिन तुझसे बिछड़ने की यादमे,
और फिर १५ तुझसे मिलने की आस में मरता है।
तेरा प्यार समझना मुश्किल है।
ईद के चाँद का दिदार इतना हँसी युही नहीं होता।
- संकेत अशोक थानवी ॥ १५/१२/१६ ॥
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