Khudko zinda bana...(खुदको ज़िंदा बना..)
खुदको ज़िंदा बना
इन् झूटी आकांक्षाओं ,
इन् झूटी अहसासों को सच समझने वाले।
तेरी ज़िन्दगी का मतलब क्या ?
जवाब तेरे पास है नहीं ,
मुझे पता है।
ये सिर्फ तेरी हालत नहीं ,
दुनियामे शायद ही इससे कोई बचा है।
याद कर वो सारे अनोखे ख्वाब ,
जो तूने देखे थे बचपनमे।
बुनता था तू एक नया ख्वाब ,
हर एक धड़कनमे।
अगर पुछु तुझसे की इसमें दोष किसका है
तू काम को दोष देगा।
लेकिन पेट वही भरता है ,
ये भी तू कहेगा।
हकीकत है ये ,
गलत नहीं।
लेकिन काम को ज़िन्दगी बनना ,
ये भी तो सही नहीं।
ज़िन्दगी को बनाओ वो किताब ,
जिसके हर पन्ने हो नए रंगका।
हर वाक्य हो नयी बात।
एक ऐसी किताब,
जिसको आनेवाले अपनाए।
नाकी वो ,
जिसको सब भूतकालमे दफनाए।
इसकेलिए उस भ्रम के बादल को हटा।
खुदकी किताबमे जरा धूल हटा के ,
खुदको ज़िंदा बना।
- संकेत अशोक थानवी ॥१५/०७/२०१६ ॥
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