Vo Chupaarustam (वो छुपारुस्तम)

वो छुपारुस्तम 



बहन उसे डराए कभी जो ,
तो कहते बहन को सब माँ दुर्गा।
और वो कभी डराए बहन को,
सब कहते उसे अत्याचारी मामा कंस। 
पर वो हैं छुपारुस्तम ,
वो तो है मनसे हंस। 

ना दिगई उसे कोई आज़ादी ,
सबके सामने रोनेकी। 
उसे तो दिया गया ,
सिर्फ और सिर्फ आजीवन मेहनत करने का दंड। 
पर वो हैं छुपारुस्तम ,
रखता वो इस सबको अपने मनमे बंद। 

कह नहीं सकता किसीको "मुझे बच्चोको सँभालने जाना हैं ",
हसी उड़ायेंगे दफ्तरमे सब। 
आज पूरी दुनिया करती हैं ,
बचपनसे माँ - माँ। 
पर वो हैं छुपारुस्तम ,
ऐसेही नहीं मिलती सबकी वाह-वाह। 

कोई मानेगा इसको की , अत्याचार उसपे भी होता हैं।
कोई मानेगा इसको की , बलात्कार उसका भी होता हैं। 
कोई नहीं करता विश्वास। 
पर वो हैं छुपारुस्तम ,
खुद चुपहोके दुसरोको नहीं करता उदास। 

झाक्के देखो कभी उसमे ,
जो जल्द सुबहसे देररात तक दफ्तरमे होता है। 
झाक्के देखो कभी उसमे,
जो साठ का होके आठकी हरकते करता हैं। 
झाक्के देखो कभी उसमे,
जो सिर्फएक धागे को रक्षाका वचन समझता हैं। 
झाक्के देखो कभी उसमे,
जो तुमसे प्यारी बाते लड़ता हैं। 
झाक्के देखो कभी उसमे,
वो छुपारुस्तम नज़र आता हैं। 

- संकेत अशोक थानवी ॥२२ /३/१५ ॥ 

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