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दौड़ (Daud)

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दौड़  देख! देख! देख! देख! कितना नाराज़ है। खुदको ही आक कम, कितना लाचार है। बुरे सोच की, ये उंगलिया जो ताकती। बड़ा तू खुदको मान को, जो उंगलिया वो काटती। दौड़... दौड़ है ये, भाग तू। इस बातको न नकार तू। रुकना मत, या आगे हार है ये। शुरवात कर, या अभीसे मात है ये। मुकाम नहीं, ये एक कदम है। जशन नाकर, ये सब भरम है। चाहिए अब आराम और ज़िन्दगी खस्ती, या अभी तप और आगे ज़िन्दगी हस्ती। देखले चारो तरफ, है विकल्पों का घेरा। सोचले मानव, चुनाव है तेरा। जंग जैसा है ये, लेकिन जीवन का दाव है। इसमें बाज़ी ना लगाने से बेहतर खाना घाव है। दौड़ले,  तुझे मिलेंगे आगे कई अच्छे - बुरे पड़ाव है। -संकेत अशोक थानवी ॥२६/०९/१५ ॥  Photo by  Kunj Parekh  on  Unsplash

जूनून | Junoon

जूनून Dedicated to  BITS Pilani, Pilani Campus Junoon Sports Event for Specially-abled. ये हौसला है मेरा, कमजोरी नहीं। मुझे चूमना है उस चोटी को, जिसके दूर निचे बादल हो कही। ये मेरी रोज़ की मामूली जंग है. तुम्हारे लिए ये जैसी विश्वयुद्ध की पुकार। जीभ नहीं तो क्या, मुझमे में हैं सिंह की ललकार। ये जो विश्वास का बाँध भर रहा, देखना मुझे खुद को महान।  तुम लोग जैसे चल नही सकता तो क्या, मुझे में हैं गरुड़ की उड़ान। ना समझना की मुझमे कोई कमी हैं । तुम्हारी थाली भरी होने के बाद भी तुम्हे भूक नहीं हैं ।  ये जूनून हैं मेरा, मेरी मज़बूरी नहीं हैं । - संकेत अशोक थानवी ॥ १२/०९/२०१५ ॥