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Showing posts from July, 2015

Kal aaj aur kal (कल , आज और कल)

कल , आज और कल ये दो पिता , दो बेटे और तीन पीढ़ियों की कहानी हैं।  सिर्फ मेरी आपकी नहीं दोस्तों , शायद ये घर घर की कहानी हैं।  दादा बैठे सामने घरमे , वो शान है घरकी  बात सबने मानी है।  बैठे हो बेटा-पोता किधरभी , रखता वो सबकी कोतवलसी निगरानी है।  कभी कभी इन् सबके बीच , करते वो सबपे अपनी 'दादा'गीरी वाली मनमानी है।  मिले है कइयोंसे अस्सी साल मे , आज मिलती सबकी सलामी है।  पिता… पिता देखते है घरका मजमा , वो घरमे सबसे ज्ञानी है।  आता उन्हें बड़ी-बड़ी मुसीबतको , जादुई तरीकेसे छुपानी है। पुल है घरके वो अभी , जिसके एक छोर पर नयी और दूसरे पर चीज़े पुरानी हैं।  संभाला है दादा का कारोबार , बात सिर्फ बेटे की नहीं पर बड़ोकी मानी है। मेरा तो है ये मानना  … की कारोबार और परिवार साथ हो अगर , तो जैसे बारूदके साथ चिंगारी है।  संभाला ना जाए ढंगसे , तो सिर्फ खुदको तो क्या सबको होती हानी है।  पर अगर हो सहीसे इस्तमाल इसका , तो होती रोज़ दीवालीवाली आतिशबाज़ी है।  सब ...

Haa ho tum wohi (हां हो तुम वो ही)

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हां हो तुम वो ही हां हो तुम वो ही  मगर   कम खुद ना आंकना चाहे कोई भी आए   डगर ऐसी की विश्वास डूबने लगे  मगर    खुद मे ही मिलेगी बढ़ती ज्वाला  हर पहर   दुनिया मे होता है  एक ग़दर   का हिस्सा है तुम्हारे विचार जो है  अमर   कथा से प्रेरित तो क्या फिक्र करते हो आप कल की  ए कुंवर   की तरह युवा और वायु की तरह तुम हो जबर   और अहंकार मिलके बनाते हैं क्रूरता की  कमर   दुखने वाली नहीं है तुम्हारी उम्रमे बनो तुम एक  भ्रमर की भाति करते रहो जीवन का  सफर मे करना दुसरो के विचारो की  कदर ,  प्रेम और महेनत से मिलेगा जीवन मे  शिखर   हो इतना ऊचा की डूबा ना पाए कोई मुसीबतकी  लहर   पर तैरते वक़्त रखना किनारेपर भी  नज़र से ही तो मिलते हैं रस्ते जैसे हो रेगिस्तान  मे  नहर    बनाने मे लगती हैं खूब  कसर   करनेसे नहीं मिलते ज़िन्दगी मे  ज़हर मिल भी जाए किसी हालात मे  अगर   ऐसेकी ढा रहे ...