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Leher | लहर

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लहर ए लहर! बता मुझे मेरा रास्ता कहा है। इस किनारे का पता तूने ढूंढा कहा है ? अनेको समंदर है तैरने के लिए, इस समंदर से तेरा लगाव क्या है ? तू, कभी उफनता है... कभी सिमटता हैं।  फिर भी, एक किनारे को इतनी बार कैसे याद कर लेता है ? मुझे देखो, हाथोसे बटन दबाकर मेरा दिमाग खुदको हकीकत से दूर कर लेता है। मैं भी कभी याद रखता था खुदके सपने। अब पता नहीं कबसे मेरा दिमाग खुदको इतना बेवक़ूफ़ बना लेता है ? तूने देखे कई बवंडर। तूने पार किया ये विशाल समंदर।  तू डगमगाके भी बिखरता कैसे नहीं ? तू है मेरा साथी।  बता मैं कमज़ोर नहीं हो कर भी, मज़बूत क्यों नहीं ? - संकेत अशोक थानवी || १४/०९/२०१८ ||  Photo: [ Photo by  Dhaval Parmar  on  Unsplash ]