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रिश्ता(Rishta)

रिश्ता मुझ जैसी सुखी रेत के लिए , ये आँखे वो लहरें , जो छूती सबसे पहले, तुझ जैसे खूबसूरती के समंदर के किनारे खड़े, तुझे याद करने पे।  उन् गुलाबी होटोको  चूमनेसे कैसे रोके  ये भ्रमर खुदको , जब धुंदले से दीखते है बाकि फूल बाग़में।  ये दो पंखुड़िया , जिसकी बाते गुलकंद  और हँसी ख़ुशी का इत्तर , भुला देती है बाकि सबकुछ उन्हें छूनेपे। आधी रात को घडी की आवाज़ के बिच वो रेशमी स्पर्श आजभी याद है , सास थी रुक गयी , पर अमृत मिला प्यारमें। हमारी रातोंकी कहानिया सुनले अगर कोई, विश्वास न फिर उसे हो भगवनमें तेरी मूरत की फिर पूजा करे वो, सोचे सिर्फ तुझे सुबह और शाम मे।  है प्यार का खुमार या , हमारी थकी रातो की एक एक कहानी , ये सुखी बंजर ज़मीं में बाढ़ के पीछे एक रिश्ता , तुम हो जिसकी नींव में।  समय की सुईमें  रिश्ते के धागे को पिरोके बने इस मखमली चादर को हमने चढ़ाया है इश्क़ की दरगाह पे।  - संकेत अशोक थानवी ॥१/३/२०१७ ॥