क्या समझाओगी ?( Kya Samajhaogi? )
क्या समझाओगी ? तू है कितनी खूबसूरत , तुझे न पता। हो गई धड़कन क्यों तेज़ इतनी , मुझे न पता। मतलब कब समझोगी तुम मेरी कविताओ का , मुझपे जादू हो गया इन नशीली अदाओँका। अँधा कर दिए तुमने। अँधेरे से नहीं , चेहरेसे। जब -जब आती हो सामने , हो जाती हो सुन्दर पहलेसे। किसी जवानको महसूस होता है बुढ़ापा, किसी बूढ़ेको महसूस होती है जवानी। दोनों मे बस फर्क इतना है , की दूसरेके हाथ मे है मनचाहा हीरा, पहले के आखो मे है कोई तस्वीर सुहानी। ये हो रहा मुझे क्या , कोई तो बताओ। ये अँधा शायद बढ़ रहा खाई तरफ , कोई तो रुकाओ। कहावत है , की समय के सामने कुछभी नहीं टिकता। लेकिन मुझे , मुझे तुम्हारे साथ मे 'समय' इस शब्द का अर्थ नहीं दिखता। खुदा जाने खुदमे इतना क्या गुरुर है। अँधा तो पहले हे कर दिए तुमने। लेकिन अब होता अच्छे रूप रंगसे ज्यादा अच्छे स्वभाव से सुकून है। ज्यादातर दुखोकी वजह सिर्फ नज़रिये का फर्क है। तुम जिसे देखो , वो तुम्हे कैसे देखे ? हकीकत होती...