दान (Daan)
दान (Daan) मनालो तुम खुद्की दिवालीसे पहले किसीकी दिवाली। देदो तुम किसीके चेहरे पे खुशहाली। आतिशबाजी नहीं होती इसमें , न बनाते है इसमें कोई रंगोली। दिखती है इसमें तो दिलो की अमीरी। बनालो तुम किसी अंजानको , बिना मिले अपनोसा करीबी। जो दुसरो की मदद करे , वही तो होता इंसान है। सब भूल गए शायद , जिसे हम कहते दान है। क्या होता है दान ? दान नहीं कोई लेख जो लिखा हो संविधान मे। और ना हे वो कोई वस्तु जो मिलती हो इनाम मे। इसके होते अनेको रूप है , करो तो मिल जाएगा इसके विराट रूप का प्रमाण। दान तुमसे किसी अजनबीको दिया गया एक अदृश्यसा वरदान। - संकेत अशोक थानवी ॥०८/१०/१५॥